यदि छठे भाव का स्वामी शुभ ग्रह होता है तो ऐसा जातक कर्जा अवश्य लेता है। यदि द्वितीय भाव के स्वामी का छठे भाव से षडाष्टक योग बनता […]
राहु-केतु अक्ष पर सम्मिलित ग्रहों का प्रभाव।
यद्यपि संहिता काल से लेकर अठाहरवीं शताब्दी तक कुछ न कुछ परिष्कार और परिवर्धन जारी रहा। पर आज वह प्रक्रिया कुछ बाधित हो गयी है। तीव्र अनुभूति और […]
चंद्रमा धन योग के निर्माता
1. यदि सूर्य से केन्द्र में (1,4, 7, 10) चंद्रमा हों तो मनुष्य का धन, बुद्धि चातुर्य तथा कुशलता कम, पणफर (2, 5, 8, 11) में हो तो […]
यदि आपकी पत्रिका में है शुक्र है इन ग्रहों के साथ तो आपमें होंगे ये गुण
कलहरुर्चिनिन्द्रालुर्नीच: स्यात्वर्धकीपति:। सुभग: बन्धुद्वेष्टा न सुखी शशिकुजबुधभार्गवै सहितै।। सारावली … अर्थात् झगड़े फसाद कराने में आंनद लेने वाला, दिखने में सुन्दर, अत्यन्त निर्दयी, भाई-बन्धुओं के साथ झगड़ा करने […]
बहेड़ा
बहेड़ा एक अत्यन्त महत्वपूर्ण औषधि है। यह त्रिफला बनाने में एक मुख्य योगदान रखती है। बहेड़े के बिना त्रिफला चूर्ण अधूरा है। त्रिफला आयुर्वेद जगत में महत्वपूर्ण योगदान […]
बुध – बुद्धि लाघव
एक व्यक्ति की जन्म पत्रिका में बुध की भूमिका उसे जीव जगत में सबसे महत्वपूर्ण बनाती है। उन समस्त प्राणियों में जिनके पास बोलने की क्षमता, भाषा और […]
त्रिंशांश कुण्डली में शनि की आलोचना
स्त्री जातक मुख्यत: त्रिंशांश कुण्डली पर आधारित है। शनि के प्रभाव को स्त्री जातक में निंदित ही माना गया है और वे अच्छे परिणाम देते हुए नहीं पाए […]
गुलिक
होरा ग्रन्थों में 9 उपग्रह बताये गये हैं, इनके नाम है- मान्दि, यमअंटक, अद्र्धप्रहार, काल, धूम, व्यतीपात, परिधि, इन्द्रधनु और उपकेतु। मंत्रेश्वर ने जिन्हें उपग्रह कहा है, पाराशर […]
सूर्य और चन्द्रमा
ज्योतिष में सूर्य और चन्द्रमा प्रकाशक ग्रह कहलाते हैं। वास्वत में सूर्य तो नक्षत्र हैं और चन्द्रमा उपग्रह। परन्तु भविष्य कथन के दृष्टिकोण से इन्हें नौ ग्रहों में […]