अच्छी भूख और अच्छी नींद ईश्वर का मनुष्य को दिया गया सर्वोत्तम उपहार है। इन दोनों में ही कोई कमी रह जाए तो जीवन नरक हो जाता है। इनमें से कोई कमी हो तो केवल एक व्यक्ति को फायदा होता है वह है, आपका डॉक्टर।
अनिद्रा के मूल में मानसिक असुरक्षा की भावना का उत्पन्न होना हैव् संभावित शारीरिक कष्ट, मृत्यु, विश्वासघात, ऋण व हानि इत्यादि विषय मानसिक कष्ट के कारण बनते हैं और व्यक्ति चिंतित रहता है व नींद नहीं आती।
दक्षिण दिशा मध्य से नैऋत्य कोण तक दे द्वार उपरोक्त संभावनाएं उत्पन्न करते हैं। नैऋत्य कोण से लेकर पपश्चिम दोष मध्य को छोड़कर वायव्य कोण तक आने वाले सभी द्वार मानसिक अशांति और अनिद्रा को जन्म देते हैं। उत्तर दिशा मध्य को छोड़कर ईशान कोण तक आने वाले सभी द्वार भी ऐसी ही स्थितियां उत्पन्न करते है।
पूर्व दिशा में भरी निर्माण हो तथा पश्चिम दिशा एकदम खली व निर्माण रहित हो तो भी अनिद्रा का शिकार होना पड़ सकता है।उत्तर दिशा में भरी निर्माण हो परन्तु दक्षिण और पश्चिम दिशा निर्माण रहित हो टी भी ऐसा होता है।
वायव्य कोण में जलाशय हो तो भी अनिद्रा का कारण बनता है। गृहस्वामी अग्निकोण या वायव्य कोण में शयन करे या उत्तर में सिर व दक्षिण में पैर करके सोए तो भी अनिद्रा का रोग हो सकता है।