बहेड़ा

बहेड़ा एक अत्यन्त महत्वपूर्ण औषधि है। यह त्रिफला बनाने में एक मुख्य योगदान रखती है। बहेड़े के बिना त्रिफला चूर्ण अधूरा है। त्रिफला आयुर्वेद जगत में महत्वपूर्ण योगदान रखता है। यह चूर्ण वात, पित्त व कफ को समाप्त करता है। त्रिफला बनाने के लिए हरड़ की एक मात्रा, बहेड़ा की दो व आंवले की तीन मात्रा के अनुपात में लेकर ही त्रिफला बनाना चाहिए।

बहेड़ा का नाम हमने कभी न कभी सुना होगा। कुछ लोग तो इस नाम से काफी भली-भांति परिचित होंगे और कुछ लोग इसे अपने जीवन की दिनचर्या में भी अपनाते होंगे। बहेड़ा आयुर्वेद में एक महत्त्वपूर्ण औषधि के रूप में जाना जाता है। आयुर्वेद शास्त्र में महर्षियों ने बहेड़ा का वर्णन काफी विस्तार से किया है। बहेड़ा को विभिन्न नाम से भी जाना जाता है। हिन्दी में बहेड़ा, गुजराती में बेरंग, संस्कृत में कलियुगालय, भूतवास, कासहन एवं मराठी में बहेड़ा, उड़ीया में भारा एवं अंग्रेजी में बेलेरिक (Bellirica) के नाम से जाना जाता है। चरक संहिता में बहेड़ा के इतने गुण बतलाए गए हैं कि व्यक्ति इसे अपने जीवन में अपनाए तो अपने जीवन को स्वस्थ व तन्दुरस्त रख कर अपनी आयु को दीर्घायु बना सकते हैं।

रासायनिक गुण – इसके फल में टेनिन 21.4 प्रतिशत, बी-सिटोस्टेरॉल, गैलिक एसिड, इलेगिक एसिड़, एथिलगेलेट, चेबुलेजिक एसिड, ग्लूकोज, गैलेक्टोज इत्यादि।

औषधि गुण –
1. इसका रस कसैला होता है व इसकी तासीर गर्म होती है। वात, पित्त, कफ तीनों दोषों में यह रामबाण का काम करता है।
2. रूखा, हल्का व कसैला होने के कारण यह कफ दोष को जड़ से समाप्त करता है।
3. तासीर गर्म होने के कारण वात का भी शमन करता है।
4. सर्वोत्तम कफ का नाश करने में यह रामबाण सिद्ध हुआ है।
5. नासा, रक्त विकार, बालों का झडऩा, उदर, खांसी, कुष्ठ रोग, कण्ठ संबंधी रोग, नेत्र रोग, आँखों के विभिन्न रोग, मुख रोग, श्वास संबंधी, पेट में कीड़े होना, स्वर भंग, हृदय रोग, दमा, हिचकी, कब्ज, बवासीर मिर्गी, चक्कर आना आदि।
6. त्रिफला, सेंधा, नमक, गोखरू तथा ककड़ी के बीज पीसकर काढ़ा बनाकर पीने से मूत्र संबंधी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं व पथरी हो तो मूत्र के द्वारा निकल जाती है।
7. आंखों में त्रिफला, दातुन में नमक का प्रयोग, पेट में तीन कोने भरे हुए चौथा कोना खाली रखने से व शीत से अपने आप को बचाने वाला व्यक्ति निरोगी व स्वस्थ रहता है।
8. सौंफ, इलायची का सेवन गरमी में ही करना चाहिए, लौंग का सेवन सरदी में व त्रिफला का सेवन हर मौसम में किया जा सकता है। त्रिफला का सेवन सदैव करने पर व्यक्ति समस्त बीमारियों से कौसों दूर रहता है।…

सम्पूर्ण लेख ज्योतिष मंथन पत्रिका के नवम्बर 2019 अंक में उपलब्ध है।

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