ऐसे करती है फेंगशुई अपना कार्य

फेंगशुई के व्यावहारिक अध्ययन के लिए पंचतत्व और अष्ट दिशासूत्रों का पूर्ण ज्ञान होना अनिवार्य आवश्यकता है। इन सूत्रों को पूर्णरुपेण समझने के पश्चात आप श्रेष्ठतम ऊर्जा और उत्कृष्ट दिशाओं का पता लगा सकते हैं और आप शुभ ची अर्थात ऊर्जा के अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

फेंगशुई के सिद्धान्त वांछित कार्यों को प्रकृति के सिद्धांतों के अनुरुप करते हैं न कि प्रकृति के विपरीत। इस बात की पुष्टि इसके अर्थ से स्वत: हो जाती है। फेंगशुई का अर्थ वायु और जल । प्राचीन संस्कृतियों में बताया गया है कि हमारा जीवन और भाग्य सूक्ष्मरूप से हमारे वातावरण में अंतर्निहित है। हमारी भवन शैलियाँ, हमारे भवनों और कार्यालयों की आंतरिक सज्जा एवं अभिन्यास आदि सबका हमारे ऊपर गहन प्रभाव पड़ता है।

सभी सजीव वस्तुएँ ब्रह्माण्ड की ऊर्जा ची से संचालित एवं संबद्ध हैं। यह अदृश्य ऊर्जा होती है और इसे ही जीवन शक्ति भी कहते हैं। यही अदृश्य शक्ति हमारे आसपास की वस्तुओं में व्याप्त रहती है और इसका हमारे जीवन पर प्रत्यक्ष प्रभाव रहता है। इस जीवनशक्ति अथवा ब्रह्माण्डीय ऊर्जा का हमारे जीवन में बेहतर हितकारी उपयोग कैसे हो, यही फेंगशुई का आधार है।

फेंगशुई परिस्थितियों के सुधार के उपाय बताती है, इसमें निर्मित रचनाओं में परिवर्तन कराना अनिवार्य नहीं होता। फेंगशुई विद्वान अथवा इसके प्रयोक्तागण वायु और जल में निहित ऊर्जा प्रवाह के फर्नीचर के माध्यम से प्रयुक्त करके, रंगों का उपयोग करके जातक के घर में संतुलन एवं सामंजस्य स्थापित करते हैं। साथ ही विद्वान असंतुलित ऊर्जा को संतुलित करने का प्रयास करते हैं।

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