भारत की जन्म पत्रिका भारत की जन्म पत्रिका वृषभ लगA की है और इस समय महत्वपूर्ण महादशा अन्तरदशा के दौर से गुजर रही है। इस समय सूर्य महादशा चल रही है और उनमें बुध की अन्तरदशा चल रही है। वृषभ लगA की कुण्डली में नवम और दशम भाव के स्वामी होकर शनिदेव राजयोग बनाते हैं। परन्तु उत्तर कालामृत के अनुसार जो कि कालीदास जी के द्वारा लिखी हुई बताई जाती है, जब तक दूसरे केन्द्र और त्रिकोण के स्वामियों में संबंध स्थापित न हो, तब तक सम्पूर्ण राज्यों की सृष्टि नहीं होती। भारत की जन्म पत्रिका में यह योग उपलब्ध है और इस समय सूर्य और बुध की दशा अन्तरदशा में इस राजयोग का फल आना चाहिए। अत: सूर्य की महादशा में बुध की अन्तरदशा भारत में राष्ट्र के अभ्युथान, शत्रुओं पर विजय और क्रान्तिकारी परिवर्तन लाने वाली सिद्ध होगी। इस पर अन्यत्र विवरण भी प्रस्तुत किया जा रहा है। आर्थिक :-
1. गोचरवश अष्टमेश बृहस्पति के द्वितीय भाव से भ्रमण करने के कारण व्यापक हानि हुई है। विकास दर में कमी आई है, रूपये की हालत खराब हो गई और इतिहास में सबसे नीचे बिन्दू पर आया और महंगाई सुरसा की तरह बढ़ गई। बृहस्पति के वक्री होने के बाद आर्थिक स्थिति में सुधार आयेगा और 7 नवम्बर से 6 मार्च तक बृहस्पति के वक्री रहने की अवधि में भारत की अर्थ व्यवस्था में सुधार के संकेत मिलेंगे। रूपये की स्थिति सुधरेगी।
2. रूपया मार्च से पहले-पहले सुधरने के संकेत देगा। डॉलर के मुकाबले स्थिति में पहले की अपेक्षा सुधार नजर आयेगा। 3. रूपये को लेकर अंतर्राष्ट्रीय रणनीति में सफलता मिलेगी और भारत सरकार को श्रेय मिलेगा। यह विषय ब्राडिंग का है और कई नई मुद्राओं से नये रिश्ते तय होंगे।
4. चीन के द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने की कोशिशों को झटका लगेगा। मार्च-2014 के प्रथम सप्ताह में जब कि भारत की जन्म पत्रिका के छठे भाव में शनि, मंगल और राहु एक साथ स्थित हौंगे और तीनों वक्री होंगे, उसके बाद से चीन के गोदामों में वह माल इकट्ठा होना शुरू हो जायेगा, जो कि भारत के बाजारों में डम्प करने के लिए बनाया गया था।
5. तस्करी के जरिये भारत नेपाल सीमा और भारत पाकिस्तान सीमा पर लाये गये सामान की ब़डे पैमाने पर पक़डा-धक़डी होगी और भारत सरकार अपने उद्देश्य में सफल रहेगी।
6. शनिदेव जो कि 2 मार्च से लेकर 20 जुलाई, 2014 तक वक्री रहेंगे, भारत को विजयी बनाते हैं और अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं पर तनाव के कारण भारत को मनोवैज्ञानिक दृष्टि से बढ़त के बावजूद भी रक्षा उत्पादनों और सेनाओं के नियोजन के कारण ब़डा खर्चा करना पडे़गा।
7. अघोषित रूप से 25 से 30 हजार करो़ड से अधिक का खर्चा सेनाओं की रक्षा के लिए करना ही प़डेगा।
8. अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत को ऋण देने की नीतियों की समीक्षा की जायेगी और भारत के स्ह्लड्डह्लह्वह्य में परिवर्तन किया जाने के संकेत मिलेंगे।
9. सितम्बर-अक्टूबर, 2014 में बहुत ब़डी मात्रा में भारतीय रूपया बाजार में आयेगा, जिसके कारण महंगाई और मुद्रा स्फीति बढ़ेगी।
10. नई सरकार को आर्थिक स्थितियो से निपटने में पसीना आ जायेगा क्योंकि घाटे की अर्थव्यवस्था और खाली खजाने को लेकर देश को चलाने की ब़डी जिम्मेदारी रहेगी।
11. आगामी बजट सत्र हंगामेदार रहेगा और सरकार को कई बार नीचा देखना पडे़गा।
12. आर्थिक घोटालों को लेकर सदन में जबरदस्त चर्चा होगी और सरकार को कई बार नीचा देखना पडे़गा।
13. एक या दो मामलों में विपक्ष को अच्छा जबाब मिल जायेगा और बहस सार्थक नहीं रहेगी।
14. आर्थिक घोटालों और वित्तीय अनियमितता के कारण इस वर्ष सैंक़डो नये लोग फसेंगे और जेल जायेंगे।
15. किसी आर्थिक घोटाले के सम्बन्ध में सी.बी.आई. को नीचा देखना पडे़गा और उसके अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी।
16. फसल उत्पादन उच्चा कोटि का रहेगा तथा रिकॉर्ड पैदावार होगी। इसके कारण भारत में समृद्धि आयेगी।
17. फसल वृद्धि के बाद भी मंहगाई में कमी नहीं आयेगी। जमाखोरों की बन आयेगी और सरकार को बडे़ पैमाने पर कार्यवाहियां करनी पडे़ेगी।
18. मई, 2014 से सितम्बर, 2014 के बीच में भारत सरकार को आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए क़डी कार्यवाहियां करनी पडे़ंगी, जिसके कारण बहुत से लोग नाराज हो सकते हैं।
19. सितम्बर, 2014 के बाद शुक्र अन्तरदशा के कारण सरकार को बहुत बडे़ धन की आवश्यकता पडे़गी और विभिन्न स्रोतों से बाजार में गई हुई मुद्रा को वापस लाने के लिए नई-नई नीतियों की कोशिश करनी पडे़गी। इनमें ब्याज दरों में परिवर्तन और अन्य उपाय शामिल है।